शेर.. शायरी.. गीत..

मेरा संग्रह.. कुछ नया-कुछ पुराना..

हंगामा है क्यूं बरपा.. थोडी सी जो पी ली है..

हंगामा है क्यूं बरपा.. थोडी सी जो पी ली है..
डाका तो नहीं डाला.. चोरी तो नहीं की है..
 
उस मे से नही मतलब.. दिल जिस से है बेगाना..
मकसुद है उस मे से.. दिल ही मे जो खिंचती है..
 
सूरज में लगे धब्बा.. कुदरत के करिश्में हैं..
बुत हमको कहें काफ़िर.. अल्लाह की मर्ज़ी है..
 
ना तजुर्बाकारी से वाईज़ की ये बातें हैं..
इस रंग को क्या जाने.. पूछो तो कभी पी है..
 
वा दिल में की सदमे दो.. या की मे के सब सह लो..
उनका भी अजब दिल है.. मेरा भी अजब जी है.. 
 
हर ज़र्रा चमकता है.. अनवार-ए-इलाही से..
हर सांस ये कहती है.. हम हैं तो खुदाई है..
 
हंगामा है क्यूं बरपा.. थोडी सी जो पी ली है..
डाका तो नहीं डाला.. चोरी तो नहीं की है..
 
थोडी सी जो पी ली है..
 
इसे सुनें
 
लेखक – अकबर एलाहबादी
गायक – गुलाम अली

मई 18, 2008 - Posted by | गज़ल, शायरी, हिन्दी

20 टिप्पणियां »

  1. meri pasandida gazalon mein se ek. Ghulam ali ki behatarin ghazal.

    टिप्पणी द्वारा Abhishek | मई 18, 2008 | प्रतिक्रिया

  2. बढ़िया गजल लाये हो.

    टिप्पणी द्वारा समीर लाल | मई 18, 2008 | प्रतिक्रिया

  3. Nice Blog

    will be back to your blog

    feel free visit my site
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    टिप्पणी द्वारा Rama Mohan | जून 5, 2008 | प्रतिक्रिया

  4. Plz send me shayari.

    टिप्पणी द्वारा subhash | जून 7, 2008 | प्रतिक्रिया

  5. amit is a good boy purshapes

    टिप्पणी द्वारा amit | जून 7, 2008 | प्रतिक्रिया

  6. I miss you
    jagu
    satyam

    टिप्पणी द्वारा satyam | जुलाई 2, 2008 | प्रतिक्रिया

  7. ap ki gajal and bahut hi achha hai mera dil khush ho gaya hai

    टिप्पणी द्वारा shivam rai | अगस्त 6, 2008 | प्रतिक्रिया

  8. हंगामा है क्यूं बरपा.. थोडी सी जो पी ली है..
    डाका तो नहीं डाला.. चोरी तो नहीं की है..

    उस मे से नही मतलब.. दिल जिस से है बेगाना..
    मकसुद है उस मे से.. दिल ही मे जो खिंचती है..

    सूरज में लगे धब्बा.. कुदरत के करिश्में हैं..
    बुत हमको कहें काफ़िर.. अल्लाह की मर्ज़ी है..

    ना तजुर्बाकारी से वाईज़ की ये बातें हैं..
    इस रंग को क्या जाने.. पूछो तो कभी पी है..

    वा दिल में की सदमे दो.. या की मे के सब सह लो..
    उनका भी अजब दिल है.. मेरा भी अजब जी है..

    हर ज़र्रा चमकता है.. अनवार-ए-इलाही से..
    हर सांस ये कहती है.. हम हैं तो खुदाई है..

    हंगामा है क्यूं बरपा.. थोडी सी जो पी ली है..
    डाका तो नहीं डाला.. चोरी तो नहीं की है..

    थोडी सी जो पी ली है..

    — इसे सुनें

    टिप्पणी द्वारा manish | दिसम्बर 2, 2008 | प्रतिक्रिया

  9. दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..
    बल्की दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..

    जरुरत नहीं पडती, दोस्तों की तस्वीर की.
    देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..

    येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
    दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..

    नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
    पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..

    कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
    दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..

    सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते हैं अलग-अलग..
    दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..

    माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये “अभी”
    पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..

    ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
    भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..

    ————————————————-अभिनव जैन..

    August 24, 2006 Posted by Raj Gaurav | कविता | | 7 Comments

    चाह्ता हूं, मैं..

    एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..

    खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..

    दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..

    दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..

    जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया..

    साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..

    वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..

    तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..

    ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..

    मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..

    बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा “अभी”..

    हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं, मैं..

    एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..

    खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..

    ——————————————- अभिनव जैन..

    August 24, 2006 Posted by Raj Gaurav | कविता | | 1 Comment

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    टिप्पणी द्वारा harish | दिसम्बर 2, 2008 | प्रतिक्रिया

  10. ये जो ज़िन्दगी की किताब है..
    ये किताब भी क्या खिताब है..
    कहीं एक हसीं सा ख्वाब है..
    कही जान-लेवा अज़ाब है..

    कहीं आंसू की है दास्तान..
    कहीं मुस्कुराहटों का है बयान..
    कई चेहरे हैं इसमे छिपे हुये..
    एक अजीब सा ये निकाब है..

    कहीं खो दिया, कहीं पा लिया..
    कहीं रो लिया..
    कहीं गा लिया..
    कहीं छीन लेती है हर खुशी..
    कहीं मेहरबान ला-ज़वाब है..

    कहीं छांव है, कहीं धूप है..
    कहीं बरकतों की हैं बारिशें..
    तो कहीं, और ही कोई रूप है..

    ये जो ज़िन्दगी की किताब है..
    ये खिताब लाजवाब है..

    — राजेश रेड्डी..

    “इसे सुनें – जगजीत सिंह“

    December 15, 2006 Posted by Raj Gaurav | गज़ल, शायरी, हिन्दी | | 1 Comment

    वो दिल ही क्या – कतील शिफ़ाई..

    वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ ना करे..

    मैं तुझको भूल के ज़िन्दा रहूं, ये खुदा ना करे..

    रहेगा साथ, तेरा प्यार, ज़िन्दगी बन कर..

    ये और बात, मेरी ज़िन्दगी अब वफ़ा ना करे..

    ये ठीक है माना, नहीं मरता कोई जुदाई में..

    खुदा किसी को, किसी से जुदा ना करे..

    सुना है उसको मोहब्ब्त दुआयें देती है..

    जो दिल पे चोट तो खाये, पर गिला ना करे..

    ज़माना देख चुका है, परख चुका है उसे..

    “कातिल” जान से जाये, पर इल्तिजा ना करे..

    —कतील शिफ़ाई..

    इसे “सुनें” गायक – जगजीत सिंह..

    December 14, 2006 Posted by Raj Gaurav | गज़ल, शायरी, हिन्दी | | 2 Comments

    इधर से गुज़रा था.. सोचा सलाम करता चलूं..

    हज़ूर आपका भी एह्तराम करता चलूं..

    इधर से गुज़रा था.. सोचा सलाम करता चलूं..

    निगाह-ए-दिल की येही आखिरी तमन्ना है..

    तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये मे शाम करता चलूं..

    हज़ूर आपका भी एह्तराम करता चलूं..

    उन्हे येह ज़िद है कि मुझे देखकर किसी और को ना देख..

    मेरा येह शौक, कि सबसे कलाम करता चलूं..

    इधर से गुज़रा था.. सोचा सलाम करता चलूं..

    ये मेरे ख्वाबों की दुनिया नहीं, सही..

    अब आ गया हूं तो दो दिन कयाम करता चलूं..

    हज़ूर आपका भी एह्तराम करता चलूं..

    इधर से गुज़रा था.. सोचा सलाम करता चलूं..

    ——————————————–शादाब..

    “इसे सुनें” जगजीत सिंह..

    September 29, 2006 Posted by Raj Gaurav | गीत, गज़ल, शायरी | | No Comments

    अगर तुम मिलने आ जाओ..

    तमन्ना फ़िर मचल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    येह मौसम ही बदल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    मुझे गम है.. कि मैने ज़िन्दगी मे कुछ नहीं पाया..

    येह गम दिल से निकल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    येह दुनिया भर के झगडे.. घर के किस्से.. काम की बातें..

    बला हर एक टल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    येह मौसम ही बदल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    तमन्ना फ़िर मचल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे..

    ज़माना मुझसे जल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    तमन्ना फ़िर मचल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    येह मौसम ही बदल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    तमन्ना फ़िर मचल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    अगर तुम मिलने आ जाओ.. अगर तुम मिलने आ जाओ..

    —————————————————————————-जावेद अख्तर..

    Album :- “सोज़” जगजीत सिंह..

    “सुनें” / “देखें“

    “Download करें”

    August 11, 2006 Posted by Raj Gaurav | गज़ल | | No Comments

    टिप्पणी द्वारा manish | दिसम्बर 2, 2008 | प्रतिक्रिया

  11. hai

    टिप्पणी द्वारा raj | जनवरी 19, 2009 | प्रतिक्रिया

  12. hai.

    टिप्पणी द्वारा raj | जनवरी 19, 2009 | प्रतिक्रिया

  13. MUSLMA AUR HIDU KI JAN KAHA HAI MERA HINDUSTAN
    USE MAI DHUDH RAHA HU USE MAI DHUDH RAHA HU

    टिप्पणी द्वारा PREM KANT PANDEY | मार्च 14, 2009 | प्रतिक्रिया

  14. Ishq kamzor dil se kiya nahin ja sakta,
    Zeher dushman se liya nahin ja sakta,
    Dil mein basi hai ulfat jis pyar ki,
    Us pyar ke bina jiya nahin ja sakta.

    टिप्पणी द्वारा Shivani Singh | अप्रैल 13, 2010 | प्रतिक्रिया

  15. […] […]

    पिंगबैक द्वारा santoshkumwar « Santosh kumwr Blog | अगस्त 23, 2010 | प्रतिक्रिया

  16. very nice

    टिप्पणी द्वारा bittu | जनवरी 14, 2012 | प्रतिक्रिया

  17. […] […]

    पिंगबैक द्वारा Yaadein.. Tumse Khafa hai Hum | Muskan | जून 12, 2012 | प्रतिक्रिया

  18. very nice

    टिप्पणी द्वारा anmol | नवम्बर 28, 2014 | प्रतिक्रिया

  19. Cool SHayari

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    टिप्पणी द्वारा superhitstatus | नवम्बर 26, 2016 | प्रतिक्रिया


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