दोस्ती..
दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..
बल्की दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
जरुरत नहीं पडती, दोस्तों की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते हैं अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये “अभी”
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..
————————————————-अभिनव जैन..
i also like to write poetry.
but now i dnt have time to write such a thing.
टिप्पणी द्वारा abhinav tyagi | अप्रैल 3, 2008 |
Dear Abhinav,
There is always room at the top then how come you posess a talent for which many of us do want but cannot. It is disappointing one self by denying lack of time for pursuing your hobby?
टिप्पणी द्वारा Goupal Rai | नवम्बर 17, 2009 |
beautiful…plz post more on friendship….this is ultimate
टिप्पणी द्वारा rakesh raina | मई 12, 2008 |
chad se pyari chadni
chadni se pyari rat
rat se pyari aap
टिप्पणी द्वारा rajeev pandey | जुलाई 30, 2009 |
ILOVE MA SUNITA SHA PAR KHATA HO APA
टिप्पणी द्वारा dilip | अगस्त 11, 2008 |
नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते हैं अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
टिप्पणी द्वारा Ramlla Singh | सितम्बर 9, 2008 |
मैं भी लिखता हूं.. पर चिन्ता ना करें आपको ऐसा torture नहीं दूंगा मैं यहां पे.. इस ब्लोग पे चुने हुए अच्छे-अच्छे शेर.. शायरी.. या गीत.. लिखने के नेक इरादे से आप सभी का स्वागत करता हूं..
टिप्पणी द्वारा Ramlla Singh | सितम्बर 9, 2008 |
की…
डार्लिंग चाय तो पी लो,
जल्दी से रेडी हो जाओ,
आप को ऑफिस भी है जाना…
घरवाली भगवान का रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर पूरी तरह छाई थी,
सांस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था,
इक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था…
५ साल बाद……..
सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना,
टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना,
आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना…
सुनो एक बार फिर वोही आवाज आयी,
क्या बात है अभी तक छोड़ी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना…
ना जाने घरवाली कैसा रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी,
सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है…
क्या कभी वो दिन लौट के आएंगे,
हम एक बार फिर कुंवारे हो जायेंगे….
टिप्पणी द्वारा mahir tyagi | सितम्बर 23, 2008 |
aap ne hamari dosti kabool ki uske liye
…………………….thanks
and aap ne abhi tak interodunction nahi diya
humne aap ke kahne par aap ko poora introdunction diya
……………..please give me your intro.
aur aise hi e-mail karte raho tabhi to dosti parvan chadhegi yaar
टिप्पणी द्वारा mahir tyagi | सितम्बर 23, 2008 |
hy kya khoob likha hai
टिप्पणी द्वारा firoj | दिसम्बर 22, 2008 |
when u look at me*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .i feel i m fine*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .when u call me
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸. i feel i m good
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .when u ask me
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .i feel i m intelligent
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .when u see me
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .i feel i m beautiful
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .when u give me smile
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .i feel i m happy
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .when u touch me
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .i feel i m alive
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .when u talk with me
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .i feel i m someone Special
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .and finally when u r not with me
*`•.¸.♥♥
♥♥*`•.¸ .i feel i m NOTHING*`•.¸.♥♥
टिप्पणी द्वारा rajeev pandey | जुलाई 30, 2009 |
bahut achchha laga dosto ki filings jajne or likhane ke liye
thanks
टिप्पणी द्वारा dayashankar | अगस्त 16, 2009 |
DOSTI INSAAN KI JARURAT HAI!
DILO PER DOSTI KI HUKUMAT HAI!
AAP KE PYARE KI VAJAH SE JINDA HOIN!
VERNA KHUDA KO BHI HAMARI JARURAT HAI!
टिप्पणी द्वारा NAVEEN | अगस्त 20, 2009 |
hh
टिप्पणी द्वारा raj | अप्रैल 6, 2010 |
phir na semtagi ager dosti bikher jayegi
jindagi julph nahi jo phir se sanwer jayegi
jo khusi de tumhe tham lo daman ushka
jindagi roker nahi hansa ker gujer jayegi
टिप्पणी द्वारा naveen singh | अगस्त 22, 2009 |
u r nice
kisi se itna vada na karo jisa tum nibha na sako kisi ko tum itna na cho jisa tum pa na sako, pyar kisi ka kaha pura hota hai, koya ki is ka phela word khud hi adhur hota hai.
टिप्पणी द्वारा krishna sharma | अगस्त 27, 2009 |
aap logon ki shari padh ker bahut hi accha lag main chah ta hoon ki aaplog isse bhi achchi shari likhen
टिप्पणी द्वारा sabir hussain | अगस्त 31, 2009 |
81237
टिप्पणी द्वारा sabir hussain | अगस्त 31, 2009 |
EK LADKI THI DIWANI
MOBILE LEKAR GUMTI THI
NAZRE JUKAKAR SHRMAKE
MOBILE PE KUCH KUCH KARTI THI
JAB BHI MUJSE MILA KARTI
TAB EK HI SAWAL KARTI THI
YE CHALU KESE HOTA HAI………..
टिप्पणी द्वारा rushikesh kagde | सितम्बर 4, 2009 |
hi,
deepika tum janha hbi raho muskaraate rahna
tumhari yaad bahut aati hai agar c me dekhana to msg
jaroor karna good bye bye god by gress;
thank you
m. k. rai
a.c.s.t. coledge
jabalpur
टिप्पणी द्वारा manish rai | सितम्बर 4, 2009 |
hello every body,
I am also alone in my life, But i have a good friend in my life, who help me alwayas and distrub me, So very very thank for friendship and my friend
S. Khan
टिप्पणी द्वारा arun | सितम्बर 7, 2009 |
kuch aisa khayal jo harek ki zindgi me aata hai
sayad har kishi ko likh dena mumkin nahi hopata
kosis ki hai aap ko apna sa lage bataega ye kabhi na kabhi
zindgi me bhoole visre yad ate hai
thanks
टिप्पणी द्वारा shiv kumar dubey | सितम्बर 11, 2009 |
dear sunil jaha vi raho khush rahna mere dost
shiv kumar dubey
sagar mp
टिप्पणी द्वारा shiv kumar dubey | सितम्बर 11, 2009 |
mat kar mere dost hasheno se pyar
bo ankhon se var karti hai
mene isi ankhon se dekha
ki bo kitno se pyar karti hai
thanks
shiv kumar dubey
+919702258074
टिप्पणी द्वारा shiv kumar dubey | सितम्बर 11, 2009 |
dear everivody
(3)sawal aap ke liye
(1) ek din ki zindgi mile to kya chahoge
(2)agar mout samne ho to kya magoge
(3)dost ur pyar me kya chahoge
thanks
shiv kumar dubey
09702258074
टिप्पणी द्वारा shiv kumar dubey | सितम्बर 11, 2009 |
DOSTI MAGENGE
टिप्पणी द्वारा PRAVENDRA | फ़रवरी 13, 2012 |
BADDE AASANY SE DIL LAGAAYE JATE HAI PAR BADE MUSHKIL SAY WAADE NIBHAYE JATE HAI. LE JATI HAI MOHOBAT UN RAAHO PAR JAHNA DIYE NAHI DIL JALAAYE JATE HAI.
टिप्पणी द्वारा neeru jaipur | अक्टूबर 30, 2009 |
but now i dnt have time to write such a thing
टिप्पणी द्वारा DHIRENDRAKUMAR | नवम्बर 8, 2009 |
इक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था…
५ साल बाद……..
सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना,
टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना,
आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना…
सुनो एक बार फिर वोही आवाज आयी,
क्या बात है अभी तक छोड़ी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना…
ना जाने घरवाली कैसा रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी,
सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है…
क्या कभी वो दिन लौट के आएंगे,
टिप्पणी द्वारा vinaykumar | नवम्बर 11, 2009 |
SUGRIV
टिप्पणी द्वारा KADAM S.G.PATIL | नवम्बर 20, 2009 |
डार्लिंग चाय तो पी लो,
जल्दी से रेडी हो जाओ,
आप को ऑफिस भी है जाना…
घरवाली भगवान का रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर पूरी तरह छाई थी,
सांस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था,
इक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था…
५ साल बाद……..
सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना,
टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना,
आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना…
सुनो एक बार फिर वोही आवाज आयी,
क्या बात है अभी तक छोड़ी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना…
ना जाने घरवाली कैसा रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी,
सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है…
क्या कभी वो दिन लौट के आएंगे,
हम एक बार फिर कुंवारे हो जायेंगे….
टिप्पणी द्वारा maruti | जनवरी 17, 2010 |
Niceeeeeeeeeeeee
टिप्पणी द्वारा raj | अप्रैल 6, 2010 |
niceeeee good yerrrrrrrrrrrrr
टिप्पणी द्वारा raj | अप्रैल 6, 2010 |
realy frndship means alot for us it is a need of every relation
टिप्पणी द्वारा preety | अगस्त 22, 2010 |
GOOD NIET
टिप्पणी द्वारा SUNIL KOLI | जनवरी 19, 2011 |
kuch aisa khayal jo harek ki zindgi me aata hai
sayad har kishi ko likh dena mumkin nahi hopata
kosis ki hai aap ko apna sa lage bataega ye kabhi na kabhi
zindgi me bhoole visre yad ate hai
thanks
टिप्पणी द्वारा eknath | जनवरी 22, 2011 |
सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना,
टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना,
आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना…
सुनो एक बार फिर वोही आवाज आयी,
क्या बात है अभी तक छोड़ी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना…
ना जाने घरवाली कैसा रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी,
सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है…
क्या कभी वो दिन लौट के आएंगे,
Comment by vinaykumar | नवम्बर 11, 2009 | Reply
SUGRIV
Comment by KADAM S.G.PATIL | नवम्बर 20, 2009 | Reply
डार्लिंग चाय तो पी लो,
जल्दी से रेडी हो जाओ,
आप को ऑफिस भी है जाना…
घरवाली भगवान का रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर पूरी तरह छाई थी,
सांस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था,
इक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था…
५ साल बाद……..
सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना,
टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना,
आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना…
सुनो एक बार फिर वोही आवाज आयी,
क्या बात है अभी तक छोड़ी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना…
ना जाने घरवाली कैसा रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी,
सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है…
क्या कभी वो दिन लौट के आएंगे,
हम एक बार फिर कुंवारे हो जायेंगे….
टिप्पणी द्वारा eknath | जनवरी 22, 2011 |
EK LADKI THI DIWANI
MOBILE LEKAR GUMTI THI
NAZRE JUKAKAR SHRMAKE
MOBILE PE KUCH KUCH KARTI THI
JAB BHI MUJSE MILA KARTI
TAB EK HI SAWAL KARTI THI
YE CHALU KESE HOTA HAI………..
टिप्पणी द्वारा eknath | जनवरी 22, 2011 |
bahut bahut aacha laga dosti ke nap pe yah likh
aati sundar
waw
टिप्पणी द्वारा vidhya | अगस्त 18, 2011 |
bahut yaad aate dost kaminey…hr wakt hr pal
टिप्पणी द्वारा Raj Isharwal | अक्टूबर 22, 2011 |